1951-1981 के दशकों में भारत में जनसंख्या विस्फोट के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे -
(1) स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद यही वह अवधि थी, जिसमें केन्द्रीकृत नियोजन प्रक्रिया के माध्यम से विकासात्मक कार्यों को आरम्भ किया गया। कृषि और उद्योग खण्डों के विकास, रोजगार में वृद्धि, चिकित्सा सुविधाओं की प्रगति और विस्तार तथा जन्म और मृत्यु-दर पर नियन्त्रण जैसी उपलब्धियों के कारण जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी।
(2) साठ के दशक में देश में आई हरित क्रान्ति से उपजी खाद्यान्नों में आत्म-निर्भरता से अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ। सुनिश्चित भोजन ने जीवन की दशाओं को उन्नत किया जिससे जनसंख्या की बेतहाशा वृद्धि हुई।
(3) इसी अवधि में तिब्बतियों, नेपालियों, बंगलादेशियों और पाकिस्तान से आने वाले लोगों के बढ़ते अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के कारण भी भारत की जनसंख्या में वृद्धि हुई।
(4) सन् 1971 के बाद, शिक्षा के प्रचार-प्रसार के प्रभाव तथा चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार से जनसंख्या की वृद्धि दर में कुछ-कुछ कमी आने लगी।
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